AtmSanyamYog Bhagwat Geeta Chapter 6 | आत्मसंयमयोग ~ अध्याय छः

अथ षष्ठोऽध्यायः- आत्मसंयमयोग कर्मयोग का विषय और योगारूढ़ के लक्षण, काम-संकल्प-त्याग का महत्व श्रीभगवानुवाच अनाश्रितः कर्मफलं कार्यं कर्म करोति यः । स सन्न्यासी च योगी च न निरग्निर्न चाक्रियः ॥ śrī bhagavānuvāca anāśritaḥ karmaphalaṅ kāryaṅ karma karōti yaḥ. sa saṅnyāsī ca yōgī ca na niragnirna cākriyaḥ৷৷6.1৷৷ भावार्थ : श्री भगवान बोले- जो पुरुष कर्मफल का … Read more

KarmSanyasYog Bhagwat Geeta Chapter 5 ~ कर्मसंन्यासयोग ~ अध्याय पाँच

अथ पंचमोऽध्यायः- कर्मसंन्यासयोग ज्ञानयोग और कर्मयोग की एकता, सांख्य पर का विवरण और कर्मयोग की वरीयता   अर्जुन उवाच सन्न्यासं कर्मणां कृष्ण पुनर्योगं च शंससि । यच्छ्रेय एतयोरेकं तन्मे ब्रूहि सुनिश्चितम्‌ ॥ arjuna uvāca saṅnyāsaṅ karmaṇāṅ kṛṣṇa punaryōgaṅ ca śaṅsasi. yacchrēya ētayōrēkaṅ tanmē brūhi suniśicatam৷৷5.1৷৷ भावार्थ : अर्जुन बोले- हे कृष्ण! आप कर्मों के संन्यास … Read more

GyanKarmSanyasYog Bhagwat Geeta Chapter 4 ~ ज्ञानकर्मसंन्यासयोग – अध्याय चार

अथ चतुर्थोऽध्यायः- ज्ञानकर्मसंन्यासयोग योग परंपरा, भगवान के जन्म कर्म की दिव्यता, भक्त लक्षण भगवत्स्वरूप श्री भगवानुवाच इमं विवस्वते योगं प्रोक्तवानहमव्ययम्‌ । विवस्वान्मनवे प्राह मनुरिक्ष्वाकवेऽब्रवीत्‌ ॥ śrī bhagavānuvāca imaṅ vivasvatē yōgaṅ prōktavānahamavyayam. vivasvān manavē prāha manurikṣvākavē.bravīt৷৷4.1৷৷ भावार्थ : श्री भगवान बोले- मैंने इस अविनाशी योग को सूर्य से कहा था, सूर्य ने अपने पुत्र वैवस्वत मनु … Read more

कर्मयोग~ भगवत गीता ~ अध्याय तीन – Karmyog Bhagwat Geeta Chapter 3

अथ तृतीयोऽध्यायः- कर्मयोग ज्ञानयोग और कर्मयोग के अनुसार अनासक्त भाव से नियत कर्म करने की आवश्यकता अर्जुन उवाच ज्यायसी चेत्कर्मणस्ते मता बुद्धिर्जनार्दन । तत्किं कर्मणि घोरे मां नियोजयसि केशव ॥   arjuna uvācajyāyasī cētkarmaṇastē matā buddhirjanārdana.tatkiṅ karmaṇi ghōrē māṅ niyōjayasi kēśava৷৷3.1৷৷ भावार्थ : अर्जुन बोले- हे जनार्दन! यदि आपको कर्म की अपेक्षा ज्ञान श्रेष्ठ मान्य … Read more

सांख्ययोग ~ भगवत गीता ~ द्वितीय दो – Bhagwat Geeta Chapter 2

अथ द्वितीयोऽध्यायः ~ सांख्ययोग अर्जुन की कायरता के विषय में श्री कृष्णार्जुन-संवाद  संजय उवाच तं तथा कृपयाविष्टमश्रुपूर्णाकुलेक्षणम्‌ । विषीदन्तमिदं वाक्यमुवाच मधुसूदनः ॥2.1॥ sañjaya uvāca taṅ tathā kṛpayā.viṣṭamaśrupūrṇākulēkṣaṇam. viṣīdantamidaṅ vākyamuvāca madhusūdanaḥ৷৷2.1৷৷ भावार्थ : संजय बोले- उस प्रकार करुणा से व्याप्त और आँसुओं से पूर्ण तथा व्याकुल नेत्रों वाले शोकयुक्त उस अर्जुन के प्रति भगवान मधुसूदन ने … Read more

अर्जुनविषादयोग ~ भगवत गीता ~ अध्याय एक – Bhagwat Geeta Chapter 1

अथ प्रथमोऽध्यायः- अर्जुनविषादयोग दोनों सेनाओं के प्रधान शूरवीरों और अन्य महान वीरों का वर्णन धृतराष्ट्र उवाच धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे समवेता युयुत्सवः । मामकाः पाण्डवाश्चैव किमकुर्वत संजय ॥1-1॥ dhṛtarāṣṭra uvācadharmakṣētrē kurukṣētrē samavētā yuyutsavaḥ.māmakāḥ pāṇḍavāścaiva kimakurvata sañjaya৷৷1.1৷৷ भावार्थ : धृतराष्ट्र बोले- हे संजय! धर्मभूमि कुरुक्षेत्र में एकत्रित, युद्ध की इच्छावाले मेरे और पाण्डु के पुत्रों ने क्या किया?॥1॥ … Read more

Shrimad Bhagwat Geeta In Hindi ~ सम्पूर्ण श्रीमद्‍भगवद्‍गीता

Shrimad Bhagwat Geeta In Hindi श्रीमद्भगवद्गीता हिन्दुओं के पवित्रतम ग्रन्थों में से एक है। महाभारत के अनुसार कुरुक्षेत्र युद्ध में भगवान श्री कृष्ण ने गीता का सन्देश अर्जुन को सुनाया था। यह महाभारत के भीष्मपर्व के अन्तर्गत दिया गया एक उपनिषद् है। भगवत गीता में एकेश्वरवाद, कर्म योग, ज्ञानयोग, भक्ति योग की बहुत सुन्दर ढंग … Read more

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