Shrimad Bhagwat Geeta Hindi PDF Download

The Shrimad Bhagavad Gita ‘The Song by God’ often referred to as the Gita , is a 700-verse Hindu scripture that is part of the epic Mahabharata (chapters 23–40 of book 6 of the Mahabharata called the Bhishma Parva), dated to the second half of the first millennium BCE and is typical of the Hindu … Read more

Krishna’s Explanation on Difference between the material world and the spiritual world

According to Lord Krishna, human beings are not able to differentiate between the spiritual world and the material world due to ignorance, due to which they have to suffer till birth after birth. But one who understands the spiritual tree, he progresses himself and becomes great in life and gets rid of this birth and … Read more

MokshSanyasYog~ Bhagwat Geeta Chapter 18 | मोक्षसंन्यासयोग ~ अध्याय अट्ठारह

अथाष्टादशोऽध्यायः- मोक्षसंन्यासयोग त्याग का विषय अर्जुन उवाच सन्न्यासस्य महाबाहो तत्त्वमिच्छामि वेदितुम्‌ । त्यागस्य च हृषीकेश पृथक्केशिनिषूदन ৷৷18.1৷৷ arjuna uvāca saṅnyāsasya mahābāhō tattvamicchāmi vēditum. tyāgasya ca hṛṣīkēśa pṛthakkēśiniṣūdana৷৷18.1৷৷ भावार्थ : अर्जुन बोले- हे महाबाहो! हे अन्तर्यामिन्‌! हे वासुदेव! मैं संन्यास और त्याग के तत्व को पृथक्‌-पृथक्‌ जानना चाहता हूँ ৷৷18.1॥ श्रीभगवानुवाच काम्यानां कर्मणा न्यासं सन्न्यासं कवयो … Read more

ShraddhaTrayVibhagYog ~ Bhagwat Geeta Chapter 17|श्रद्धात्रयविभागयोग ~ अध्याय सत्रह

अथ सप्तदशोऽध्यायः- श्रद्धात्रयविभागयोग श्रद्धा का और शास्त्रविपरीत घोर तप करने वालों का विषय अर्जुन उवाच ये शास्त्रविधिमुत्सृज्य यजन्ते श्रद्धयान्विताः। तेषां निष्ठा तु का कृष्ण सत्त्वमाहो रजस्तमः৷৷17.1৷৷ arjuna uvāca yē śāstravidhimutsṛjya yajantē śraddhayā.nvitāḥ. tēṣāṅ niṣṭhā tu kā kṛṣṇa sattvamāhō rajastamaḥ৷৷17.1৷৷ भावार्थ : अर्जुन बोले- हे कृष्ण! जो मनुष्य शास्त्र विधि को त्यागकर श्रद्धा से युक्त हुए … Read more

DaiwaSurSampdwiBhagYog ~ Bhagwat Geeta Chapter 16 | दैवासुरसम्पद्विभागयोग ~ अध्याय सोलह

अथ षोडशोऽध्यायः- दैवासुरसम्पद्विभागयोग फलसहित दैवी और आसुरी संपदा का कथन श्रीभगवानुवाच अभयं सत्त्वसंशुद्धिर्ज्ञानयोगव्यवस्थितिः। दानं दमश्च यज्ञश्च स्वाध्यायस्तप आर्जवम्‌॥16.1॥ rī bhagavānuvāca abhayaṅ sattvasaṅśuddhiḥ jñānayōgavyavasthitiḥ. dānaṅ damaśca yajñaśca svādhyāyastapa ārjavam৷৷16.1৷৷ भावार्थ : श्री भगवान बोले- भय का सर्वथा अभाव, अन्तःकरण की पूर्ण निर्मलता, तत्त्वज्ञान के लिए ध्यान योग में निरन्तर दृढ़ स्थिति (परमात्मा के स्वरूप को तत्त्व … Read more

PurushottamYog ~ Bhagwat Geeta Chapter 15 | पुरुषोत्तमयोग ~ अध्याय चौदह पंद्रह

अथ पञ्चदशोऽध्यायः- पुरुषोत्तमयोग संसाररूपी अश्वत्वृक्ष का स्वरूप और भगवत्प्राप्ति का उपाय श्रीभगवानुवाच ऊर्ध्वमूलमधः शाखमश्वत्थं प्राहुरव्ययम्‌ । छन्दांसि यस्य पर्णानि यस्तं वेद स वेदवित्‌ ৷৷15.1৷৷ śrī bhagavānuvāca ūrdhvamūlamadhaḥśākhamaśvatthaṅ prāhuravyayam. chandāṅsi yasya parṇāni yastaṅ vēda sa vēdavit৷৷15.1৷৷ भावार्थ : श्री भगवान ने कहा – हे अर्जुन! इस संसार को अविनाशी वृक्ष कहा गया है, जिसकी जड़ें ऊपर … Read more

GunTrayVibhagYog ~ Bhagwat Geeta Chapter 14 | गुणत्रयविभागयोग ~ अध्याय चौदह

अथ चतुर्दशोऽध्यायः- गुणत्रयविभागयोग ज्ञान की महिमा और प्रकृति-पुरुष से जगत्‌ की उत्पत्ति श्रीभगवानुवाच परं भूयः प्रवक्ष्यामि ज्ञानानं मानमुत्तमम्‌ । यज्ज्ञात्वा मुनयः सर्वे परां सिद्धिमितो गताः ॥ (१) śrī bhagavānuvāca paraṅ bhūyaḥ pravakṣyāmi jñānānāṅ jñānamuttamam. yajjñātvā munayaḥ sarvē parāṅ siddhimitō gatāḥ৷৷14.1৷৷ भावार्थ : श्री भगवान ने कहा – हे अर्जुन! समस्त ज्ञानों में भी सर्वश्रेष्ठ इस … Read more

Ksetra-KsetrajnayVibhagYog ~ Bhagwat Geeta Chapter 13 | क्षेत्र-क्षेत्रज्ञविभागयोग ~ अध्याय तेरह

अथ त्रयोदशोsध्याय: श्रीभगवानुवाच ज्ञानसहित क्षेत्र-क्षेत्रज्ञ का विषय अर्जुन उवाच प्रकृतिं पुरुषं चैव क्षेत्रं क्षेत्रज्ञमेव च । एतद्वेदितुमिच्छामि ज्ञानं ज्ञेयं च केशव ৷৷13.1৷৷ arjuna uvāca prakṛtiṅ puruṣaṅ caiva kṣētraṅ kṣētrajñamēva ca. ētadvēditumicchāmi jñānaṅ jñēyaṅ ca kēśava৷৷13.1৷৷ भावार्थ : अर्जुन ने पूछा – हे केशव! मैं आपसे प्रकृति एवं पुरुष, क्षेत्र एवं क्षेत्रज्ञ और ज्ञान एवं ज्ञान … Read more

BhaktiYog ~ Bhagwat Geeta Chapter 12 | भक्तियोग ~ अध्याय बारह

अथ द्वादशोऽध्यायः- भक्तियोग साकार और निराकार के उपासकों की उत्तमता का निर्णय और भगवत्प्राप्ति के उपाय का विषय अर्जुन उवाच एवं सततयुक्ता ये भक्तास्त्वां पर्युपासते । ये चाप्यक्षरमव्यक्तं तेषां के योगवित्तमाः ॥ arjuna uvāca ēvaṅ satatayuktā yē bhaktāstvāṅ paryupāsatē. yēcāpyakṣaramavyaktaṅ tēṣāṅ kē yōgavittamāḥ৷৷12.1৷৷ भावार्थ : अर्जुन बोले- जो अनन्य प्रेमी भक्तजन पूर्वोक्त प्रकार से निरन्तर … Read more

VishwaRoopDarshanYog ~ Bhagwat Geeta Chapter 11 | विश्वरूपदर्शनयोग ~ अध्याय ग्यारह

अथैकादशोऽध्यायः- विश्वरूपदर्शनयोग विश्वरूप के दर्शन हेतु अर्जुन की प्रार्थना   अर्जुन उवाच मदनुग्रहाय परमं गुह्यमध्यात्मसञ्ज्ञितम्‌ । यत्त्वयोक्तं वचस्तेन मोहोऽयं विगतो मम ॥   arjuna uvāca madanugrahāya paramaṅ guhyamadhyātmasaṅjñitam. yattvayōktaṅ vacastēna mōhō.yaṅ vigatō mama৷৷11.1৷৷   भावार्थ : अर्जुन बोले- मुझ पर अनुग्रह करने के लिए आपने जो परम गोपनीय अध्यात्म विषयक वचन अर्थात उपदेश कहा, उससे … Read more

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