Krishna’s Explanation on Difference between the material world and the spiritual world

According to Lord Krishna, human beings are not able to differentiate between the spiritual world and the material world due to ignorance, due to which they have to suffer till birth after birth. But one who understands the spiritual tree, he progresses himself and becomes great in life and gets rid of this birth and death and enters the spiritual world.

भगवान कृष्ण के अनुसार अज्ञानता के कारण मनुष्य आध्यात्मिक दुनिया और भौतिक दुनिया के बीच अंतर नहीं कर पाता है, जिसके कारण उसे जन्म-जन्मान्तर तक कष्ट भोगना पड़ता है। लेकिन जो आध्यात्मिक वृक्ष को समझ लेता है, वह स्वयं प्रगति करता है और जीवन में महान बन जाता है और इस जन्म और मृत्यु से छुटकारा पाकर आध्यात्मिक दुनिया में प्रवेश करता है।

Man’s mistake in the spiritual world and the physical world

The spiritual world is a reflection of the physical world, but due to ignorance, humans consider the physical world as reality, this is their biggest mistake.

आध्यात्मिक जगत का प्रतिबिंब होता है भौतिक जगत लेकिन मनुष्य अज्ञानता के कारण भौतिक जगत को ही वास्तविकता मान बैठते हैं यह उनकी सबसे बड़ी भूल है

False enjoyment of the sense pleasures of the material world

वेदांत दर्शन के प्रणेता तथा महान ज्ञाता भगवान श्री कृष्ण यह बताते हैं कि भौतिक जगत में मनुष्य अलग-अलग प्रकार की इंद्रिय भोग में लगा हुआ रहता है जिसके कारण वह आध्यात्मिक जगत की महत्व को नहीं समझ पाते इसलिए प्रत्येक मनुष्य को वह चाहिए कि वह इंद्रिय सुख को छोड़कर भौतिक जगत का आनंद लें जो कि वास्तविक आनंद है

Lord Shri Krishna, the founder of Vedanta philosophy and the great knower, explains that in the material world man is engaged in different types of sense enjoyment, due to which he does not understand the importance of the spiritual world, therefore every human being should take that sense. Leaving happiness and enjoying the material world which is real bliss.

Truth of the Spiritual and Physical world

Human beings waste their lives by getting entangled in the small things of the material world and when human beings come to their last moment when they become old when they are no longer able to do anything then they understand that they have Wasted his whole life because of the small pleasures of the material world, now he has nothing left with him again only because of despair, still if that person wants salvation then he should adopt the path of devotion because according to Lord Krishna no one One can also adopt the path of devotion at any time, that is why one should always understand himself and should not run after the false pleasures of the material world.

मनुष्य भौतिक जगत के छोटी-छोटी चीजों में उलझ कर अपना जीवन बर्बाद कर देते हैं और जब मनुष्य अपने अंतिम क्षण में आते हैं जब वह बूढ़ा हो जाते हैं जब वह कुछ भी करने के लायक नहीं रह जाते तब उन्हें यह समझ आता है कि उन्होंने अपना पूरा जीवन भौतिक जगत के छोटी-छोटी सुख के कारण अपने पूरे जीवन को बर्बाद कर दिया अब उनके पास फिर कुछ नहीं रहता सिर्फ निराशा के फिर भी वह व्यक्ति अगर मोक्ष चाहता है तो उसे भक्ति का मार्ग अपनाना चाहिए क्योंकि भगवान कृष्ण के अनुसार कोई भी मनुष्य किसी भी समय भक्ति का मार्ग अपना सकता है इसीलिए मनुष्य को हर हमेशा अपने आप को समझना चाहिए और भौतिक जगत की झूठे सुख के पीछे नहीं भागना चाहिए

Lord Shri Krishna says that man should understand that God, Jiva, Prakriti, Kaal are all eternal and Karma which is not eternal. Human should understand because these are things understandable to man.

भगवान श्री कृष्ण कहते हैं कि मनुष्य को समझना चाहिए कि ईश्वर, जीव, प्रकृति, काल सभी शाश्वत हैं और कर्म जो शाश्वत नहीं है। मनुष्य को समझना चाहिए क्योंकि ये मनुष्य के लिए समझने योग्य बातें हैं।

Human beings who want liberation will surely have freedom from material consciousness and have to be present in pure consciousness only then human beings will be able to enter into Krishna people or spiritual realm, for this Lord Krishna explains that man should be theocratic or Paramatman or Bhakti. must follow the path, it is the easiest and best way.

जो मनुष्य मुक्ति चाहते हैं उन्हें निश्चित रूप से भौतिक चेतना से स्वतंत्रता पानी होगी और शुद्ध चेतना में उपस्थित होना होगा तभी मनुष्य कृष्ण लोग या आध्यात्मिक लोक में प्रवेश कर पाएंगे इसके लिए भगवान श्रीकृष्ण ने बताते हैं कि मनुष्य को ब्रह्म वादी या परमात्मावादी या भक्ति के रास्ते पर चलने चाहिए यह सबसे आसान और उत्तम रास्ता है

Self realization

When man’s consciousness is awakened, then man starts to realize that he should move towards spirituality. Understand your mind and control your senses, control your senses and control your mind and work for the betterment of human beings and government of human life by adopting the path of Jnana Yoga and Bhakti Yoga.

मनुष्य की जब चेतना जागृति होती है तब मनुष्य को यह आभास होने लगता है कि उसे अध्यात्म की ओर आगे बढ़ना चाहिए मनुष्य के आत्मसाक्षात्कार का मतलब है कि वह खुद को समझे, अपने शरीर को समझे, अपनी आत्मा को समझे, अपने मन को समझे, अपने मस्तिष्क को समझे और अपने सेंस को कंट्रोल करें अपने ज्ञानेंद्रियों को कंट्रोल करें और अपने मन को कंट्रोल करें तथा ज्ञानयोग और भक्ति योग का रास्ता अपनाकर मनुष्य की भलाई में तथा मनुष्य जीवन को सरकार बनाने के लिए काम करें

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