DaiwaSurSampdwiBhagYog ~ Bhagwat Geeta Chapter 16 | दैवासुरसम्पद्विभागयोग ~ अध्याय सोलह

अथ षोडशोऽध्यायः- दैवासुरसम्पद्विभागयोग फलसहित दैवी और आसुरी संपदा का कथन श्रीभगवानुवाच अभयं सत्त्वसंशुद्धिर्ज्ञानयोगव्यवस्थितिः। दानं दमश्च यज्ञश्च स्वाध्यायस्तप आर्जवम्‌॥16.1॥ rī bhagavānuvāca abhayaṅ sattvasaṅśuddhiḥ jñānayōgavyavasthitiḥ. dānaṅ damaśca yajñaśca svādhyāyastapa ārjavam৷৷16.1৷৷ भावार्थ : श्री भगवान बोले- भय का सर्वथा अभाव, अन्तःकरण की पूर्ण निर्मलता, तत्त्वज्ञान के लिए ध्यान योग में निरन्तर दृढ़ स्थिति (परमात्मा के स्वरूप को तत्त्व … Read more

PurushottamYog ~ Bhagwat Geeta Chapter 15 | पुरुषोत्तमयोग ~ अध्याय चौदह पंद्रह

अथ पञ्चदशोऽध्यायः- पुरुषोत्तमयोग संसाररूपी अश्वत्वृक्ष का स्वरूप और भगवत्प्राप्ति का उपाय श्रीभगवानुवाच ऊर्ध्वमूलमधः शाखमश्वत्थं प्राहुरव्ययम्‌ । छन्दांसि यस्य पर्णानि यस्तं वेद स वेदवित्‌ ৷৷15.1৷৷ śrī bhagavānuvāca ūrdhvamūlamadhaḥśākhamaśvatthaṅ prāhuravyayam. chandāṅsi yasya parṇāni yastaṅ vēda sa vēdavit৷৷15.1৷৷ भावार्थ : श्री भगवान ने कहा – हे अर्जुन! इस संसार को अविनाशी वृक्ष कहा गया है, जिसकी जड़ें ऊपर … Read more

GunTrayVibhagYog ~ Bhagwat Geeta Chapter 14 | गुणत्रयविभागयोग ~ अध्याय चौदह

अथ चतुर्दशोऽध्यायः- गुणत्रयविभागयोग ज्ञान की महिमा और प्रकृति-पुरुष से जगत्‌ की उत्पत्ति श्रीभगवानुवाच परं भूयः प्रवक्ष्यामि ज्ञानानं मानमुत्तमम्‌ । यज्ज्ञात्वा मुनयः सर्वे परां सिद्धिमितो गताः ॥ (१) śrī bhagavānuvāca paraṅ bhūyaḥ pravakṣyāmi jñānānāṅ jñānamuttamam. yajjñātvā munayaḥ sarvē parāṅ siddhimitō gatāḥ৷৷14.1৷৷ भावार्थ : श्री भगवान ने कहा – हे अर्जुन! समस्त ज्ञानों में भी सर्वश्रेष्ठ इस … Read more

Ksetra-KsetrajnayVibhagYog ~ Bhagwat Geeta Chapter 13 | क्षेत्र-क्षेत्रज्ञविभागयोग ~ अध्याय तेरह

अथ त्रयोदशोsध्याय: श्रीभगवानुवाच ज्ञानसहित क्षेत्र-क्षेत्रज्ञ का विषय अर्जुन उवाच प्रकृतिं पुरुषं चैव क्षेत्रं क्षेत्रज्ञमेव च । एतद्वेदितुमिच्छामि ज्ञानं ज्ञेयं च केशव ৷৷13.1৷৷ arjuna uvāca prakṛtiṅ puruṣaṅ caiva kṣētraṅ kṣētrajñamēva ca. ētadvēditumicchāmi jñānaṅ jñēyaṅ ca kēśava৷৷13.1৷৷ भावार्थ : अर्जुन ने पूछा – हे केशव! मैं आपसे प्रकृति एवं पुरुष, क्षेत्र एवं क्षेत्रज्ञ और ज्ञान एवं ज्ञान … Read more

BhaktiYog ~ Bhagwat Geeta Chapter 12 | भक्तियोग ~ अध्याय बारह

अथ द्वादशोऽध्यायः- भक्तियोग साकार और निराकार के उपासकों की उत्तमता का निर्णय और भगवत्प्राप्ति के उपाय का विषय अर्जुन उवाच एवं सततयुक्ता ये भक्तास्त्वां पर्युपासते । ये चाप्यक्षरमव्यक्तं तेषां के योगवित्तमाः ॥ arjuna uvāca ēvaṅ satatayuktā yē bhaktāstvāṅ paryupāsatē. yēcāpyakṣaramavyaktaṅ tēṣāṅ kē yōgavittamāḥ৷৷12.1৷৷ भावार्थ : अर्जुन बोले- जो अनन्य प्रेमी भक्तजन पूर्वोक्त प्रकार से निरन्तर … Read more

VishwaRoopDarshanYog ~ Bhagwat Geeta Chapter 11 | विश्वरूपदर्शनयोग ~ अध्याय ग्यारह

अथैकादशोऽध्यायः- विश्वरूपदर्शनयोग विश्वरूप के दर्शन हेतु अर्जुन की प्रार्थना   अर्जुन उवाच मदनुग्रहाय परमं गुह्यमध्यात्मसञ्ज्ञितम्‌ । यत्त्वयोक्तं वचस्तेन मोहोऽयं विगतो मम ॥   arjuna uvāca madanugrahāya paramaṅ guhyamadhyātmasaṅjñitam. yattvayōktaṅ vacastēna mōhō.yaṅ vigatō mama৷৷11.1৷৷   भावार्थ : अर्जुन बोले- मुझ पर अनुग्रह करने के लिए आपने जो परम गोपनीय अध्यात्म विषयक वचन अर्थात उपदेश कहा, उससे … Read more

VibhutiYog ~ Bhagwat Geeta Chapter 10 | विभूतियोग ~ अध्याय दस

अथ दशमोऽध्याय:- विभूतियोग भगवान की विभूति और योगशक्ति का कथन तथा उनके जानने का फल   श्रीभगवानुवाच भूय एव महाबाहो श्रृणु मे परमं वचः । यत्तेऽहं प्रीयमाणाय वक्ष्यामि हितकाम्यया ৷৷10.1৷৷ śrī bhagavānuvāca bhūya ēva mahābāhō śrṛṇu mē paramaṅ vacaḥ. yattē.haṅ prīyamāṇāya vakṣyāmi hitakāmyayā৷৷10.1৷৷   भावार्थ : श्री भगवान्‌ बोले- हे महाबाहो! फिर भी मेरे परम … Read more

RajVidyaRajGuhyaYog ~ Bhagwat Geeta Chapter 9 | राजविद्याराजगुह्ययोग ~ अध्याय नौ

अथ नवमोऽध्यायः- राजविद्याराजगुह्ययोग परम गोपनीय ज्ञानोपदेश, उपासनात्मक ज्ञान, ईश्वर का विस्तार श्रीभगवानुवाच   इदं तु ते गुह्यतमं प्रवक्ष्याम्यनसूयवे । ज्ञानं विज्ञानसहितं यज्ज्ञात्वा मोक्ष्यसेऽशुभात्‌॥9.1॥   śrī bhagavānuvāca idaṅ tu tē guhyatamaṅ pravakṣyāmyanasūyavē. jñānaṅ vijñānasahitaṅ yajjñātvā mōkṣyasē.śubhāt৷৷9.1৷৷   भावार्थ : श्री भगवान बोले- तुझ दोषदृष्टिरहित भक्त के लिए इस परम गोपनीय विज्ञान सहित ज्ञान को पुनः भली … Read more

AksharBrahmaYog ~ Bhagwat Geeta Chapter 8 | अक्षरब्रह्मयोग~ अध्याय आठ

अथाष्टमोऽध्यायः- अक्षरब्रह्मयोग ब्रह्म, अध्यात्म और कर्मादि के विषय में अर्जुन के सात प्रश्न और उनका उत्तर अर्जुन उवाच किं तद्ब्रह्म किमध्यात्मं किं पुरुषोत्तम । अधिभूतं च किं प्रोक्तमधिदैवं किमुच्यते৷৷8.1৷৷ arjuna uvācakiṅ tadbrahma kimadhyātmaṅ kiṅ karma puruṣōttama.adhibhūtaṅ ca kiṅ prōktamadhidaivaṅ kimucyatē৷৷8.1৷৷ भावार्थ : अर्जुन ने कहा- हे पुरुषोत्तम! वह ब्रह्म क्या है? अध्यात्म क्या है? कर्म … Read more

GnyanVignyanYog ~ Bhagwat Geeta Chapter 7 | ज्ञानविज्ञानयोग ~ अध्याय सात

अथ सप्तमोऽध्यायः- ज्ञानविज्ञानयोग विज्ञान सहित ज्ञान का विषय,इश्वर की व्यापकता श्रीभगवानुवाच मय्यासक्तमनाः पार्थ योगं युञ्जन्मदाश्रयः । असंशयं समग्रं मां यथा ज्ञास्यसि तच्छृणु ॥ śrī bhagavānuvāca mayyāsaktamanāḥ pārtha yōgaṅ yuñjanmadāśrayaḥ. asaṅśayaṅ samagraṅ māṅ yathā jñāsyasi tacchṛṇu৷৷7.1৷৷ भावार्थ : श्री भगवान बोले- हे पार्थ! अनन्य प्रेम से मुझमें आसक्त चित तथा अनन्य भाव से मेरे परायण होकर … Read more

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